पर्यावरण के सम्बन्ध में पक्षियों के संरक्षण का औचित्य

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पर्यावरण का हर जीव के साथ गहरा संबंध है, यदि पर्यावरण को नुकसान होता है तो इसका प्रभाव हर जीव पर पड़ता है। वर्तमान में मानव क्रियाकलापों के बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं इससे पर्यावरण असंतुलन बढ़ गया है। इस असंतुलन से मानव के साथ-साथ पक्षियों के जीवन पर भी संकट गहराने लगा है। हमें इन्हें बचाने की जरूरत है क्योंकि पक्षी पर्यावरण रूपी सुप्रीम कंडीशन अर्थात जीवन पनपने की सम्भावना के सिस्टम का महत्वपूर्ण भाग होते हैं।

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पक्षियों की पर्यावरण के संरक्षण एवं वनों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पक्षी पेड़-पौधों के बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में उपयोगी भूमिका निभाते हैं। जब पक्षी दाना या बीज चुगते हैं या बच्चों के लिए भोजन लेकर जाते हैं तो ये बीज जमीन पर गिर जाते हैं। इससे एक स्थान की वनस्पति दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो जाती है। यह वनस्पति वहां पर उगकर पक्षियों, जानवरों के साथ ही मानव जीवन के लिए उपयोगी होती है।

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फूलों के पराग कणों को एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक पहुंचाने में पक्षियों की भी भूमिका होती है। इससे उनमें निषेचन की क्रिया होती है और फल एवं बीज बनते हैं। इससे फसलों, फल और सब्जियों के उत्पादन में मदद मिलती है। पक्षी कृषि उत्पादों की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे खेती के समय फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों एवं अन्य जीवों को खाते हैं। जिससे उनकी संख्या कम हो जाती है। इससे फसल को नुकसान नहीं होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है। साथ ही पक्षियों की बीट में फास्फोरस पाया जाता है, जो फसलों के लिए बहुत लाभकारी तत्व है।

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पक्षियों की कई प्रजातियां पर्यावरण को साफ रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। जब जानवर मर जाते हैं तो गिद्ध, चील, कौए और अन्य पक्षी उन्हें अपना भोजन बना लेते हैं। इससे गंदगी साफ हो जाती है और पर्यावरण स्वच्छ रहता है।

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पक्षियों का संरक्षण मानव जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी है, क्योंकि ये पर्यावरण को संरक्षित रखने में, फसलों के उत्पादन में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। हमें इन पक्षियों के जीवन की परवाह करते हुए इनका संरक्षण करना चाहिए। पक्षियों की सुरक्षा के लिए खेती में कीटनाशकों का उपयोग बंद करना चाहिए ताकि पक्षियों को हानि नहीं पहुंचे। यदि इनका उपयोग बढ़ता रहेगा तो पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। वर्तमान में डोडो पक्षी विलुप्त हो गया है, वहीं शुतुरमुर्ग आदि पक्षियों की प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं।

यदि पक्षी नहीं बचेंगे तो पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। परागण नहीं होने से फसलों, फल एवं सब्जियों का उत्पादन कम होगा, जिससे मानव की जरूरत पूरी नहीं हो पाएंगी और भुखमरी फैल सकती है। साथ ही पक्षियों द्वारा पेड़-पौधों के बीजों का प्रसार नहीं होने से, वन तेजी से खत्म हो सकते हैं। जिससे बारिश नहीं होगी और अकाल पड़ सकता है। पक्षियों की कमी से खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी, जिससे वन्यजीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं, पक्षी नहीं होने से बायोडायवर्सिटी असंतुलित होगी, जिसके दुष्परिणाम आएंगे। इन सबका प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

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पर्यावरण के संतुलन के लिए पक्षियों का संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखकर मिस्टर सीएम ने प्रदेश में भगीरथ परिंड़ा अभियान चलाया है। ताकि पक्षियों को गर्मियों के दिनों में पीने के लिए पानी और दाना मिल सके और उनको बचाया जा सके। इससे प्रेरित होकर शिक्षा सारथी ट्रस्ट एवं प्रदेश के लोगों द्वारा परिंडे लगाए जा रहे हैं और उनमें नियमित रूप से पानी डाला जा रहा है । सीएम शर्मा ने अपने भागीरथी प्रयासों से प्रदेश की जनता को ईआरसीपी की सौगात दी है जो पेयजल, कृषि एवं उद्योगों को तो पानी उपलब्ध करवाएगी ही साथ ही इस क्षेत्र में पक्षियों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सकेगा, जिससे पर्यावरण संतुलन में मदद मिलेगी।

सभी को दृढ़ संकल्प लेकर पर्यावरण के संरक्षण के साथ ही पक्षियों के जीवन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि हमारा जीवन भी सुरक्षित रह सके।

Gaurav Sharma
लेखक परिचय
गौरव शर्मा, कोषाध्यक्ष।

इस आर्टिकल की रचना करने वाले; गौरव शर्मा शिक्षा सारथी ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष एवं एनवायरमेंट प्रोटेक्शन प्रोग्राम के प्रेरणादायी स्त्रोत हैं। गौरव शर्मा; पर्यावरण, क्लाइमेट चेंज, जल संकट आदि के साथ साथ परोपकार, अध्यात्म, राजनीति, गवर्नमेंट, शिक्षा, उधोग आदि से सम्बंधित मामलों का अनुभव रखते हैं। इंडिया के अलावा लम्बे समय तक जापान में मानविकी से सम्बंधित मामलों के लिए अपनी सेवाएँ प्रदान कर चुके हैं। वर्तमान में गौरव शर्मा, राजस्थान सरकार में CTO के पद पर कार्यरत हैं।

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